चार महावाक्य वाक्य
उच्चारण: [ chaar mhaavaakey ]
उदाहरण वाक्य
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- ' मैं वह आनंदस्वरूप आत्मा हूँ... ' चार वेद के चार महावाक्य हैं-
- कहते हैं कि वेदों में ब्रह्म को परिभाषित करने वाले चार महावाक्य हैं यानि सत्य के शुद्धतम वक्तव्य।
- वे चार महावाक्य-1 ॐ प्रज्ञानं बृह्म 2 ॐ अहं बृह्माऽस्मि 3 ॐ तत्त्वमसि और 4 ॐ अयमात्मा बृह्म हैं ।
- चार महावाक्य होते हैं, इनमें मेरा कुछ नहीं हैं, मुझे कुछ नहीं चाहिए, सब कुछ प्रभु का है केवल प्रभु मेरे अपने हैं।
- उपनिषद के ये चार महावाक्य मानव जाति के लिए महाप्राण, महोषधि एवं संजीवनी बूटी के समान हैं, जिन्हें हृदयंगम कर मनुष्य आत्मस्थ हो सकता है।
- इस उपनिषद में चार महावाक्य ॐ प्रज्ञानं ब्रह्म, ॐ अहं ब्रह्मास्मि, ॐ तत्त्वमसि और ॐ अयमात्मा ब्रह्म का उल्लेख किया गया है.
- उपनिषद के ये चार महावाक्य मानव जाति के लिए महाप्राण, महोषधि एवं संजीवनी बूटी के समान हैं, जिन्हें हृदयंगम कर मनुष्य आत्मस्थ हो सकता है।
- ऐसे ही जीवन के लिए चार महावाक्य होते हैं, इनमें मेरा कुछ नहीं हैं,मुझे कुछ नहीं चाहिए, सब प्रभु का है केवल प्रभु मेरे अपने हैं।
- ऐसे ही जीवन के लिए चार महावाक्य होते हैं, इनमें मेरा कुछ नहीं है, मुझे कुछ नहीं चाहिए, सब कुछ प्रभु का है केवल प्रभु मेरे अपने हैं।
- ऐसे ही जीवन के लिए चार महावाक्य होते हैं, इनमें मेरा कुछ नहीं हैं, मुझे कुछ नहीं चाहिए, सब कुछ प्रभु का है केवल प्रभु मेरे अपने हैं।
- ऐसे ही जीवन के लिए चार महावाक्य होते हैं, इनमें मेरा कुछ नहीं हैं, मुझे कुछ नहीं चाहिए, सब प्रभु का है केवल प्रभु मेरे अपने हैं।
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